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लेखनी प्रतियोगिता -13-Jan-2023 लिव इन रिलेशनशिप


                     लिव इन रिलेशनशिप
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          मनन और  स्वाति बचपन से एक साथ पढ़रहे थे। दोनौ में दोस्ती भी थी। दोनों अधिकतर कालेज में साथ ही रहते थे। 

                  दोनों ने जब मेडीकल में प्रवेश लिया  तब उनदोनों  को धीरे-धीरे समझ में आने लगा कि एक दूसरे को चाहने लगे हैं। दोनों एक दूसरे को डेटिंग करने लगे। कभी किसी कॉफी हाउस में बैठकर घंटों बातें करते तो कभी किसी थिएटर में बैठकर कोई मनपसंद मूवी देखते। कॉलेज में भी दोनों के रिश्ते की चर्चा होने लगी। सभी बातों से बेफिक्र दोनों अपने में मस्त थे। 

  चार साल का समय कब कट गया उन दोनों को पता ही नही चला अब दोनो की निकटता बढ़तीही जारही थी  आखिर में दोनों एमबीबीएस डॉक्टर भी बन  गये।

            लेकिन दोनों को परेशानी तब आई जब  पीजी करने के लिए दोनों को अलग-अलग शहर जाना पड़ा। दोनों एक दूसरे को बहुत मिस करने लगे। फिर भी छुट्टियों में कभी-कभी दोनों एक दूसरे से मिल लेते और घंटों बैठ कर बात करते। आखिर में दोनों ने यह फैसला लिया कि एक ही शहर में कोई हॉस्पिटल ज्वाइन करेंगे। आखिर में दोनों ने मुम्बई का एक हॉस्पिटल ज्वाइन कर लिया।

                अब किराए के फ्लैट में रहने की बात आई तो दोनों ही परेशान थे क्योंकि मुम्बई जैसे शहर में किराया बहुत अधिक होता है। ऐसे में मनन ने  स्वाति को एक साथ रहने का ऑफर दिया।

           " आप यह क्या कह रहे हो  एक साथ रहना है अर्थात लिव इन रिलेशनशिप में?"  स्वाति ने पूछा।

"             हाँ ! तुमने ठीक समझा।  शादी से पहले एक साथ रहने का अर्थ तो लिव इन रिलेशनशिप ही होता है। तुम्हें कोई एतराज? "

             "  तुम ऐतराज की बात कर रहे हो   ?  मेरे घर वाले  यह कभी पसंद नहीं करेंगे!"


                " हम घर वालौ को बतायेगे ही क्यौ? तुम  कह देना  हम दोनौ अलग फ्लैट में रहते हैं  उनको झूँठ तो बोलना ही होगा।!"


           "     ना बा बा मैं अपने  घर वालों से कभी भी  झूठ नहीं बोल सकती । उन्होंने  मुझे ऐसे संस्कार नहीं दिये हैं!"

          " फिर झूठ बोलने की भी जरूरत भी क्या है? उनको पता ही नहीं चलेगा! वह इतनी दूर कौनसा पता करने आयेंगे जो उनको पता चलेगा ?"

                    यदि कभी मेरे। मम्मी पापा मुझसे यहाँ  मिलने आगये  तब क्या कहूंगी? तब तो पता चल जाएगा। मैं। उनसे झूठ नहीं बोल सकती। और न ही मेरा मन लिव इन रिलेशनशिप के लिए मान रहा है!"


                "तुम आज भी कितनी पुराने  ख्याल की हो। इस युग की लड़कियां तो ऐसी नहीं होती है। आजकल इस रिलेशन को तो बहुत ही नॉर्मल तरीके से लिया जाता है। छोटे-छोटे शहरों में भी लड़कियां लिव इन रिलेशनशिप में रहती है और हम तो महानगर में हैं।  इन पुराने खयालौ की अबतो होली जलादो आज तुम एक डाक्टर हो । "

                       आब तुम कुछ भी समझो मेरे बिचार  घिसे पीटे ही सही।     जो संस्कार मेरे  मम्मी पापा ने  मुझे दिए हैं  मैं उन संस्कारों का दिल से इज्जत करती हूं! और शादी से पहले किसी लड़के से शारीरिक संबंध बनाने में परहेज करती हूं क्योंकि मैं खुद की इज्जत करना जानती हूँ ।"

       "तुम्हारे इह तरह के बिचार  सुनकर मुझे बहुत आश्चर्य हो रहा है स्वाती! मुझे नही मालूम था तुम आज भी अठारवी सदी मेंत्रजी रही हो।"
             " इसका एक उपाय तो मै बताती हूँ। तुम अपने मम्मी पापा से कहो कि वह मेरे मम्मी पिपा से बात करके हमारी शादी करदें  सब झंझट खत्म?"

         तूय पागल हो ? इतनी  जल्दी शादी? अभी अभी तो हम डॉक्टर बने हैं और एक दूसरे को इतने अच्छे से समझ भी नहीं पाए है और तुम कह रही हो शादी करलो ना बाबा ना।"


              "हम दोनौ बचपन से साथ रह रहे है एक साथ पढे़ है एक साथ जवान हूए है और  तुम कह रहे हो एक दूसरे को समझ नहीं पाए तुम और क्या समझना चाहते हो?" स्वाती  ने जबाब दिया।

          "मैं तो एक साथ रहकर ही समझना चाहता हूं कि हम एक दूसरे के लायक है कि नहीं। लिव इन रिलेशनशिप  में रहकर एक दूसरे को समझने का वक्त मिलेगा।

                ओह अब समझ में आया तुम केवल शारीरिक सम्बन्ध बनाना चाहते हो  जब   हमें लगेगा कि हम एक दूसरे के लायक नहीं है या एक दूसरे से मन भर जाएगा तो.. तो क्या करेंगे! ?"


"तो एक दूसरे से अलग हो जाएंगे. और कोई दूसरा जीवन साथी ढूंढ लेंगे!"
  
     मनन तुम यह क्या कह रहे हो ? तुम पागल होगये हो।  इसका मतलब अब तक जो कुछ था वह नाटक था यही बात है ?

   बस स्वाति तुम इसका कुछ भी मतलब निकालो  मै  किसी लड़की को अच्छे से जाने बिना उसकी जिम्मेदारी नहीं उठा सकता।"

           " तुम लड़के लोग हम लड़कियों को क्या समझते हो? तुम केवल मुझसे सम्बन्ध बनाना चाहते हो और इसके बाद लात मारकर बाहर कर देना । तुम हमे  केवल खिलौना समझते हो ?

      "स्वाति तुमने छोटी सी बात को इतना तूल दे दिया ? "

           "तुम इसे छोटी बात कह रहे हो। तुमने लड़कियौ को क्या समझा है?    क्या हमारा कोई मन नहीं है? कोई भावना नहीं है? हमारा समाज इतना शिक्षित हो गया परंतु अभी भी स्त्रियों को लेकर  इस समाज की मानसिकता नहीं बदली। स्त्रियों को भोग्या समझना तुम जैसों की मानसिकता है! तुम अच्छे से समझ लो.. मैं उन लड़कियों में से नहीं हूं ।"
       मनन स्वाति का गुस्सा देखकर कुछ नही बोला।परन्तु स्वाति बोलती रही और वह बोली," मिस्टर मनन अच्छा हुआ आज तुमने अपनी असलियत से अवगत  करा दिया मै यदि कोई गलत कदम उठालेती और बहक कर तुम्हारी बात मान लेती तुम मुझे बीच में ही ठोकर मारकर अलग होजाते। ईश्वर का धन्यवाद और अपने माता पिता के  दिये गये संस्कारो का धन्यवाद करती हूँ जो तुम जैसे अय्याशी लोगौ की बातौ में नही आई। बस आजसे हमारा तुम्हारा रास्ता अलग है। "

            और इसके बाद बहुत दृढ़ता से निर्णय लेकर  न उहने आगे कदम बढ़ा दिए और वह मन ही मन सोचने लगी.." मम्मी पापा आपको धन्यवाद  आप लोगों ने मुझे इतने अच्छे संस्कार दिए! इसके लिए दिल से आभार! काश कि सभी पेरेंट्स अपने बच्चों को चाहे लड़का हो या लड़की दोनों को अच्छे संस्कार देकर बड़ा करें तो ऐसी स्थिति उत्पन्न ही नहीं होगी। और उसने वह शहर छोड़कर  दिल्ली जाकर अपना अस्पताल खोला।

         स्वाति ने अपने मम्मी पापा की इच्छा से अरेन्ज मैरिज की। स्वाति ने अपनी शादी में मनन को निमन्त्रण भी नही दिया।
कुणाल, प्रीति और उसके कॉन्फिडेंस को पीछे से केवल देखता रह गया। उसे रोकने का उसमें साहस नहीं था..!!

आज की दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।

नरेश शर्मा " पचौरी"

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5 Comments

madhura

14-Jan-2023 03:09 PM

osm

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Gunjan Kamal

14-Jan-2023 09:44 AM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Abhinav ji

14-Jan-2023 08:10 AM

Very nice 👍👌

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